कंप्यूटर
इतिहास
बीसवीं शताब्दी से पहले के संगणक उपकरण
[[चित्र:Os_d'Ishango_IRSNB.JPG|thumb|right|100px|इशांगो कि हड्डी यांत्रिक रेखीय संगणक|यांत्रिक रेखीय (एनालॉग) संगणकों का प्रादुर्भाव प्रथम शताब्दी में होना शुरू हो गया था जिन्हे बाद में मध्यकालीन युग में खगोल शास्त्रीय गणनाओ के लिए इस्तेमाल भी किया गया। यांत्रिक रेखीय संगणकों को द्धितीय विश्व युद्ध के दौरान विशेषीकृत सैन्य कार्यो में उपयोग किया गया। इसी समय के दौरान पहले विद्दुतीय अंकीय परिपथ वाले संगणको का विकास हुआ। प्रारम्भ में वो एक बड़े कमरे के आकार के होते थे और आज के आधुनिक सैकड़ों निजी संगणकों [3] के बराबर बिजली का उपभोग करते थे। पहली इलेक्ट्रॉनिक अंकीय संगणक यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका में 1940 और 1945 के बीच विकसित किया गया।
गणनाएँ करने के लिये यन्त्रो का इस्तेमाल हज़ारो वर्षो से होता आ रहा है खासकर उग्लियो से गिनती करने वाले उपकरणो का। शुरुवाती गणन यन्त्र सम्भवत: मिलान छड़ी|वो लकड़ी जिस पर गिनती के लिये दांत खोदे गये हो या मिलान छड़ी का एक रूप थी। बाद में मध्य पूर्व में उपजाऊ भूमि के एक भौगोलिक क्षेत्र जो कि आकार में अर्द्ध चंद्र जैसा दिखता है में अभिलिेखो को रखने के लिए कॅल्क्युली (मिटटी के गोले, शंकु) का इस्तेमाल होता रहा जो की अधपके और खोखले मिटटी के बर्तनो में रखा होता था। इनका उपयोग सामान की गिनती (अधिकतर पशुधन व अनाज) दर्शाने के लिए किया जाता था। [4][5] गिनती की छड़े|गिनती की छड़ों का उपयोग इसका एक उदहारण है।
डेरेक जे. डी-सोला के अनुसार एंटीकाईथेरा प्रक्रिया को शुरुवाती यान्त्रिक अनुरूप अभिकलित्र माना जाता है।[6] इसे खगोलिय स्थितियो की गडना के लिये बनाया गया था। इसे एंटीकाईथेरा के युनानी द्धीप के एंटीकाईथेरा भग्नावशेष में १९०१ में खोज गया था।[7] इसे १०० ईसा पूर्व के समय का पाया गया। ऐसा माना जाता है कि एंटीकाईथेरा प्रक्रिया जैसी जटिलता वाले यन्त्र अगले १००० वर्षो तक मिलने मुश्किल है।
प्राचीन और मध्ययुगीन कालों में खगोलीय गणनाओं के निष्पादन के लिए कई एनालॉग कंप्यूटरों का निर्माण किया गया था। इनमें शामिल हैं प्राचीन ग्रीस की एंटिकिथेरा प्रक्रिया और एस्ट्रॉलैब (लगभग 150-100 ईसा पूर्व), जिन्हें आम तौर पर सबसे प्रारंभिक ज्ञात यांत्रिक एनालॉग कंप्यूटर माना जाता है।[8] एक या अन्य प्रकार की गणनाओं के निष्पादन के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले यांत्रिक उपकरणों के अन्य प्रारंभिक संस्करणों में शामिल हैं प्लेनिस्फेयर और अबू रेहान अल बिरूनी (Abū Rayhān al-Bīrūnī) (लगभग 1000 ईसा पश्चात्) द्धारा आविष्कृत अन्य यांत्रिक संगणन उपकरण; अबू इसहाक इब्राहिम अल ज़र्काली (Abū Ishāq Ibrāhīm al-Zarqālī) (लगभग 1015 ईसा पश्चात्) द्वारा आविष्कृत इक्वेटोरियम और यूनिवर्सल लैटिट्यूड-इंडिपेंडेंट एस्ट्रोलेबल; अन्य मध्ययुगीन मुस्लिम खगोलविदों और इंजीनियरों के खगोलीय एनालॉग कंप्यूटर; और सोंग राजवंश के दौरान सू सोंग (लगभग 1090 ईसा पश्चात्) का खगोलीय क्लॉक टावर।
अल जजारी द्वारा 1206 में आविष्कृत एक खगोलीय घड़ी को सबसे पहला प्रोग्राम योग्य रेखीय संगणक माना जाता है।[9] यह राशि चक्र, सूर्य और चंद्रमा की कक्षाओं को दर्शाती थी, इसमें एक अर्द्ध-चंद्राकार सूचक एक संपूर्ण प्रवेश द्वारा से होकर गुजरती थी जिसके कारण हर घंटे पर स्वचालित द्धार खुल जाते थे[10][11] और पांच रोबोटिक संगीतकार जो एक पानी के पहिये (वाटर व्हील) से जुड़े कैमशाफ्ट द्वारा संचालित लीवरों द्वारा मारे जाने पर संगीत बजा दिया करते थे। दिन और रात की लंबाई को वर्ष भर में दिन और रात की बदलती लंबाइयों के लिए उपयुक्त बनाने के क्रम में हर दिन फिर से प्रोग्राम किया जा सकता है।[9]
संगणक के विकास का संक्षिप्त इतिहास
- 1623 ई.: जर्मन गणितज्ञ विल्हेम शीकार्ड ने प्रथम यांत्रिक कैलकुलेटर का विकास किया। यह कैलकुलेटर जोड़ने, घटाने, गुणा व भाग में सक्षम था।
- 1642 ई.: फ्रांसीसी गणितज्ञ ब्लेज़ पास्कल ने जोड़ने व घटाने वाली मशीन का आविष्कार किया।
- 1801 ई.: फ्रांसीसी वैज्ञानिक जोसेफ मेरी जैकार्ड ने लूम (करघे) के लिए नई नियंत्रण प्रणाली का प्रदर्शन किया। उन्होंने लूम की प्रोग्रामिंग की, जिससे पेपर कार्डों में छेदों के पैटर्न के द्वारा मशीन को मनमुताबिक वीविंग ऑपरेशन (weaving operation) का आदेश दिया जाना सम्भव हो गया।
- 1833-71 ई.: ब्रिटिश गणितज्ञ और वैज्ञानिक चार्ल्स बैबेज ने जैकार्ड पंच-कार्ड प्रणाली का प्रयोग करते हुए 'एनालिटिकल इंजन' का निर्माण किया। इसे वर्तमान कम्प्यूटरों का अग्रदूत माना जा सकता है। बैबेज की सोच अपने काल के काफी आगे की थी और उनके आविष्कार को अधिक महत्व नहीं दिया गया।
- 1889 ई.: अमेरिकी इंजीनियर हरमन हॉलेरिथ ने 'इलेक्ट्रो मैकेनिकल पंच कार्ड टेबुलेटिंग सिस्टम' को पेटेंट कराया जिससे सांख्यिकी आँकड़े की भारी मात्रा पर कार्य करना सम्भव हो सका। इस मशीन का प्रयोग अमेरिकी जनगणना में किया गया।
- 1941 ई.: जर्मन इंजीनियर कोनार्डसे ने प्रथम पूर्णतया क्रियात्मक डिजिटल कम्प्यूटर Z3 का आविष्कार किया जिसे प्रोग्राम द्वारा नियंत्रित किया जा सकता था। Z3 इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर नहीं था। यह विद्युतीय स्विचों पर आधारित था जिन्हें रिले कहा जाता था।
- 1942 ई.: आइओवा स्टेट कॉलेज के भौतिकविद जॉन विंसेंट अटानासॉफ और उनके सहयोगी क्लिफोर्ड बेरी ने प्रथम पूर्णतया इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर के कार्यात्मक मॉडल का निर्माण किया जिसमें वैक्यूम ट्यूबों का प्रयोग किया गया था। इसमें रिले की अपेक्षा तेजी से काम किया जा सकता था। यह प्रारंभिक कम्प्यूटर प्रोग्रामेबल नहीं था।
- 1944 ई.: आईबीएम और हार्वर्ड यूनीवॢसटी के प्रोफेसर हॉवर्ड आइकेन ने प्रथम लार्ज स्केल ऑटोमेटिक डिजीटल कम्प्यूटर 'मार्क-1' का निर्माण किया। यह रिले आधारित मशीन 55 फीट लम्बी व 8 फीट ऊँची थी।
- 1943 ई.: ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जर्मन कोडों को तोडऩे के लिए इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर 'कोलोसस' का निर्माण किया।
- 1946 ई.: अमेरिकी सेना के लिए पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में भौतिकविद् जॉन माउचली और इंजीनियर जे. प्रेस्पर इकेर्ट ने 'इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटेड एंड कम्प्यूटर - इनिएक' (ENIAC) का निर्माण किया। इस कमरे के आकार वाले 30 टन कम्प्यूटर में लगभग 18,000 वैक्यूम ट्यूब लगे थे। इनिएक की प्रोग्रामिंग अलग-अलग कार्य करने के लिए की जा सकती थी।
- 1951 ई.: इकेर्ट और माउचली ने प्रथम कॉमर्शियल कम्प्यूटर 'यूनिवेक' (UNIVAC) का निर्माण किया (सं.रा. अमेरिका)।
- 1969-71 ई.: बेल लेबोरेटरी में 'यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम' का विकास किया गया।
- 1971 ई.: इंटेल ने प्रथम कॉमॢशयल माइक्रोप्रोसेसर '4004' का विकास किया। माइक्रोप्रोसेसर चिप पर सम्पूर्ण कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग यूनिट होती है।
- 1975 ई.: व्यावसायिक रूप से प्रथम सफल पर्सनल कम्प्यूटर 'MITS Altair 8800' को बाजार में उतारा गया। यह किट फार्म में था जिसमें की-बोर्ड व वीडियो डिस्प्ले नहीं थे।
- 1976 ई.: पर्सनल कम्प्यूटरों के लिए प्रथम वर्ड प्रोग्रामिंग प्रोग्राम 'इलेक्ट्रिक पेंसिल' का निर्माण।
- 1977 ई.: एप्पल ने 'एप्पल-II' को बाजार में उतारा, जिससे रंगीन टेक्स्ट और ग्राफिक्स का प्रदर्शन संभव हो गया।
- 1981 ई.: आई बी एम ने अपना पर्सनल कम्प्यूटर बाजार में उतारा जिसमें माइक्रोसॉप्ट के DOS (डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम) का प्रयोग किया गया था।
- 1984 ई.: एप्पल ने प्रथम मैकिंटोश बाजार में उतारा। यह प्रथम कम्प्यूटर था जिसमें GUI (ग्राफिकल यूज़र इंटरफेस) और माउस की सुविधा उपलब्ध थी।
- 1990 ई.: माइक्रोसॉफ्ट ने अपने ग्राफिकल यूज़र इंटरफेस का प्रथम वजऱ्न 'विंडोज़ 3.0' बाजार में उतारा।
- 1991 ई.: हेलसिंकी यूनीवर्सिटी के विद्यार्थी लाइनस टोरवाल्ड्स ने पर्सनल कम्प्यूटर के लिए 'लाइनेक्स' का आविष्कार किया।
- 1996 ई.: हाथ में पकड़ने योग्य कम्प्यूटर 'पाम पाइलट' को बाजार में उतारा गया।
- 2001 ई.: एप्पल ने मैकिंटोश के लिए यूनिक्स आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम 'Mac OS X' को बाजार में उतारा।
- 2002 ई.: कम्प्यूटर इंडस्ट्री रिसर्च फर्म गार्टनेर डेटा क्वेस्ट के अनुसार 1975 से वर्तमान तक मैन्यूफैक्चर्ड कम्प्यूटरों की संख्या 1 अरब पहुँची।
- 2005 ई.: एप्पल ने घोषणा की कि वह 2006 से अपने मैकिंटोश कम्प्यूटरों में इंटेल माइक्रोप्रोसेसरों का प्रयोग आरंभ कर देगा।
निविष्ट यंत्र(इनपुट डिवाइस)
- निविष्ट यंत्र या इनपुट डिवाइस उन उपकरणों को कहते हैं जिसके द्वारा निर्देशो और आंकडों को संगणक में भेजा जाता है। जैसे- कुन्जी पटल (की-बोर्ड), माउस, जॉयस्टिक, ट्रैक बाल आदि।
- कीबोर्ड
- माऊस
- माइक्रोफ़ोन या माइक
- क्रमवीक्षक (स्कैन्नर), अंकीय कैमेरा
- टच-स्क्रीन, टच-पैद
कम्प्यूटर के लाभ और हानि
लाभ
- यह संचार का सबसे अच्छा माध्यम है।
- इससे किसी भी संसाधन को साझा करने में आसानी होती है।
- यह सभी प्रकार के फाइल को साझा करने की बेहतरीन मशीन है।
- यह एक सस्ता यंत्र है।
- इससे समय की बचत होती है।
- इसमें डॉक्यूमेंट रखने के लिए बहुत जगह होती है।
- इसे बहुत आसानी से समझकर इस पर कार्य किया जा सकता है।
हानि
- गलत तरीके से उपयोग करने पर समय की बर्बादी होती है।
- इससे शारीरिक गतिविधियों में कमी होती है।
- रक्त परिसंचरण सही से नहीं हो पता है।
- ज्यादा भोजन खाना और मोटापा बढ़ना।
- कमर और सर में दर्द की शिकायत।
- आँखों या दृष्टि में कमजोरी होना।
- अनिद्रा की असुविधा होना।
- अगर आप लैपटॉप को अपने जांघ पर रखकर प्रयोग करते है तो नपुंसक हो सकते है।
माइक्रोसॉफ्ट विंडोज़
माइक्रोसॉफ़्ट विंडोज़, माइक्रोसॉफ़्ट द्वारा निर्मित सॉफ्टवेयर प्रचालन तन्त्र (सॉफ्टवेयर ऑपरेटिंग सिस्टम) और ग्राफिकल यूजर इण्टरफेस की एक श्रृंखला है। माइक्रोसॉफ्ट विंडोज़ ने ग्राफिकल यूजर इंटरफेस में बढ़ती रुचि (GUIs) को देखते हुए नवंबर 1985 में एमएस-DOS में जोड़ने के लिए एक ऑपरेटिंग पर्यावरण पेश किया था। माइक्रोसॉफ्ट विंडोज़, आते ही दुनिया के निजी कंप्यूटर बाजार पर हावी हो गया और इसने इससे पहले बाजार मे आये मैक-ओएस को बहुत पीछे छोड़ दिया। 2004 के IDC दिशा सम्मेलन में, यह बात सामने आयी कि ग्राहक ऑपरेटिंग सिस्टम बाजार का लगभग 90% विंडोज़ के पास था। विंडोज़ का सबसे हाल के ग्राहक संस्करण विंडोज़ १० है और सबसे हाल का सर्वर संस्करण विंडोज़ सर्वर 2016 है।बिल गेट्स ने विंडोज़ के विकास मे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और अब वह माइक्रोसॉफ्ट के उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।
विंडोज़ का शाब्दिक अर्थ होता है खिड़कियाँ। विंडोज़ एक ऑपरेटिंग सिस्टम है। विंडोज़ का उपयोग लगभग सभी व्यक्तिगत कम्प्यूटरों में होता है। इसका विकास माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन ने किया है।
1. MS Dos Windows
सबसे पहले विंडो की शुरुआत हुई थी 1981 में उस समय इसका नाम MS Dos Windows था जिस की फुल फॉर्म होती थी माइक्रोसॉफ्ट डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम और यह IBM के पर्सनल कंप्यूटर के लिए बनाया गया था. इसमें यूजर इंटरफेस के नाम पर कुछ भी नहीं था. इसमें आप सिर्फ कमांड टाइप करके इस्तेमाल कर सकते थे. उस समय कंप्यूटर की एक सिर्फ ब्लैक स्क्रीन होती थी.और उस पर आप कमांड टाइप करके लिख सकते थे. और जो आप वर्ड लिखते थे .वह हमें सफेद कलर का दिखाई देता था. और इसमें जो एप्लीकेशन होती थी. वह Dos एप्लीकेशन होती थी. डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम इस तरह से ही काम करता है. इसमें आय कैन आदि चीजें नहीं होती थी. इसमें कुछ भी नहीं होता था. बस सिर्फ एक ब्लैक कलर की स्क्रीन और उसके ऊपर जो आप सफेद कलर के वर्ड लिखते थे. वह लेकिन यहां से तो सिर्फ पर्सनल कंप्यूटर की शुरुआत हुई थी. और यहां से शुरुआत होने के बाद यह दुनिया के लगभग घर घर में पहुंच गया.
2.Windows 1.0
उसके बाद 1985 में विंडो ने लांच कर दिया अपना नया ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज 1.0 इस ऑपरेटिंग सिस्टम की सबसे खास बात यह है कि इसमें आपको सिर्फ टाइप ही नहीं करना होता था. इसमें आप पॉइंट करके विंडो जो बॉक्स का इंटरफ़ेस होता है. जिसको आज के समय में हम देखते हैं. इसमें वह Introduce कराया गया था. इसमें हम लिखने के साथ-साथ सिलेक्ट भी कर सकते थे. और हम इसके ऊपर क्लिक भी कर सकते हैं. यह इसका एक बहुत ही बढ़िया Feature था.
3.Window 2.0
उसके बाद फिर विंडो ने 1987 में अपना एक और नया ऑपरेटिंग सिस्टम लॉन्च किया और यह Windows 2.0 था. इस ऑपरेटिंग सिस्टम की सबसे अच्छी बात यह थी. कि इसमें इसमें हमें कीबोर्ड के शॉर्टकट मिलने लगे थे. इसमें एक icon भी मिलने लगे थे. इसमें हमें एक्स्ट्रा ग्राफिक का सपोर्ट भी मिलने लगा. जो हमें देखने की चीजें होती थी उनको देखने में काफी बदलाव आए. इंटेल के जो 286 प्रोसेस आए थे. उनके लिए यह ऑपरेटिंग सिस्टम खास तौर पर तैयार किया गया था. और यह उसके ऊपर बहुत अच्छी तरह से चलता था. MS Dos का सपोर्ट तो उसमें इस समय भी था. लेकिन यह पुराना ऑपरेटिंग सिस्टम था. लेकिन इस को बदलकर काफी एडवांस कर दिया गया. और यह विंडो बहुत ही पॉपुलर रही.
4. Windows 3.0
1987 के बाद माइक्रोसॉफ्ट ने अपना ऑपरेटिंग सिस्टम एक बार फिर से बदला और अब आ चुकी थी. विंडो 3.0 और 3.1 यह 1990 और 1994 के बीच में आई थी. और यह उस समय में बहुत ही पॉपुलर ऑपरेटिंग सिस्टम रहा. इस ऑपरेटिंग सिस्टम के आते ही बिल्कुल सब कुछ एकदम से बदल गया. इसमें 16 Bit कलर का सपोर्ट मिलने लगा. और इसमें एडवांस ग्राफिक का सपोर्ट भी मिलने लगा.और इस ऑपरेटिंग सिस्टम को इंटेल के 386 के प्रोसेसर के लिए बनाया गया था. इसमें हम बहुत ज्यादा चीजें इस्तेमाल कर सकते थे. जैसे Icon एडवांस ग्राफिक माउस और कीबोर्ड का सपोर्ट भी अच्छा मिलने लगा था. और इस ऑपरेटिंग सिस्टम को बहुत ही अच्छे से ऑप्टिमाइज़ किया गया. इसमें एकदम से नया बदलाव देखने को मिला और इसमें फाइल मैनेजर और प्रोग्राम मैनेजर जैसी चीजें दी गई. और यह ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर का सबसे पहला ऑपरेटिंग सिस्टम जहां से कंप्यूटर गेम की शुरुआत हुई. उसके साथ ताश का गेम आया. और यह विंडो वह बहुत ही पॉपुलर विंडो रही.
5. Windows NT
1993 और 1996 के बीच में एक बार फिर से माइक्रोसॉफ्ट ने अपना नया विंडो ऑपरेटिंग सिस्टम लॉन्च किया जिसका नाम था. Windows NT यानी Window New Technology यह भी एक 32 Bit का ऑपरेटिंग सिस्टम था. और यह वर्क स्टेशन और सर्वर के लिए बनाया गया था. सबसे पहली बार यदि किसी कंप्यूटर में ज्यादा अच्छी तरह से Multitasking दी गई थी. तो उसकी शुरुआत Windows NT से हुई थी. और यह 1993 से 1996 के बीच में बहुत ज्यादा पॉपुलर हुई थी. और सर्वर और वर्क स्टेशन के तौर पर इसको काफी इस्तेमाल किया जाता था.
6. Windows 95
और उसके बाद 1995 एक बार फिर इस ऑपरेटिंग सिस्टम को बदला गया और फिर आई विंडो 95 इसकी जो मुख्य हाईलाइट थी. वह इसके जो सोफ्टवेयर थे वो 32 Bit Architecture के ऊपर चलने लगे. यानि की इस ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए स्पेशल सॉफ्टवेयर तैयार किए जाने लगे. और वह सॉफ्टवेयर इसके ऊपर बहुत ही तेजी से काम करने लगे. इसमें Plugin Play का सपोर्ट भी मिलने लगा. यानी कि प्रिंटर आदि जैसी चीजें जोड़ सकते थे. यह अपने आप ही पता लगा लेता था कि इसमें कौन सा हार्ड ड्राइव यानी कौन सा हार्डवेयर लगाया गया है. यह ऑपरेटिंग सिस्टम काफी एडवांस था. जैसे कि हमने आपको बताया यह 32 Bit Architecture मतलब 640 K की जो मेमोरी होती थी. वह इस समय बंद हो चुकी थी. इसमें किसी भी तरह का प्रतिबंध नहीं था और इसके साथ ही जो 8 वर्ड का फाइल नाम होता था. वह भी प्रतिबंध नहीं था इसमें आप कितन भी लम्बा फाइल का नाम रख सकते हैं. और जो मेन मेमोरी होती थी 640 K की वह भी बदल कर अब ज्यादा हो चुकी थी. जो ज्यादा हैवी कंप्यूटर की शुरुआत थी. वह आप यहां से कह सकते हैं. कि विंडो 95 से शुरू हुई थी.
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